मई 2021 में कृषि विधेयक के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के नए नियमों को लागू करने की घोषणा की गई थी। यह नीति कानून उन किसानों के हितों के लिए है जो उत्पादन की गारंटी के साथ अपनी फसल की खेती करते हैं और उन्हें उचित मूल्य दिया जाएगा। इस नीति का पालन करने से किसानों को अधिक संभावना होगी कि उन्हें अधिक आय मिलेगी और इससे कृषि विकास में भी सकारात्मक बदलाव होंगे।
ये नए नियम कंपनियों के साथ फार्मर के बीच एक समझौते के आधार पर कनेक्ट करते हैं जिसमें कंपनी फसल की खरीद करती है और फार्मर को उचित मूल्य देती है। यह पूर्णतः फार्मर के बढ़ते नुकसान को कम करने के लिए डिजाइन किया गया है।
समझौतों के अनुसार, कंपनी को किसान के साथ फसल की खेती करने पर भी जिम्मेदारी उठानी होगी जो कृषि उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है। इससे कंपनियों को फसल की उचित गुणवत्ता के साथ सटीक अंकगणित मिलेगा।
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए उन फसलों का चयन किया जाएगा जो वाणिज्यिक उपज होते हैं और जो निर्धारित तकनीक और गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हैं।
नए नियमों के अंतर्गत, कंपनी को फसल की खरीद के लिए निश्चित अवधि तय करनी होगी और किसान को उचित मूल्य मिलेगा चाहे फसल की कीमत मार्केट मूल्य से कम भी हो। इससे अनुबंध में किसानों का भरोसा बढ़ेगा और उन्हें अधिक आय मिलेगी।
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के नए नियमों को लागू करने से कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी जो देश के अर्थव्यवस्था के विकास में मदद करेगी। फसलों की उचित गुणवत्ता के साथ-साथ, किसान अधिक आय प्राप्त करेंगे जो उनकी वर्तमान स्थिति को सुधारेगी।
भारत सरकार के ध्येय के अनुसार यह नीति देश के किसानों को अधिक समृद्ध बनाने में मदद करेगी। नए नियमों को लागू करने से किसानों को अधिक आय मिलेगी जो उनके विकास में मदद करेगी।
इसलिए, अब कृषि क्षेत्र में फार्मरों को उनकी कमाई बढ़ाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक बड़ा कदम है। यह नया नियम भारतीय किसानों के लिए समृद्धि और आत्मनिर्भरता का एक भावुक पथ है।
इसलिए, हमें उन किसानों के अधिकारों का सम्मान करना होगा जो हमारी खेती के लिए अपना समय, मेहनत और उनकी जिंदगी का सम्मान करते हैं।
भारत सरकार के इस कदम से कृषि उत्पादन के स्तर में एक उच्चाई तक पहुंचा जा सकता है और किसानों को अधिक आर्थिक सहायता मिलेगी। यह एक सकारात्मक कदम है जो भारत के किसानों के हित में है।